कांग्रेस सरकार अब नीचता और हिन्दू विरोध की पराकाष्ठा करते हुए रामसेतु को तोड़ने के कार्य में युद्ध स्तर पर लग गयी है ..शायद चुनावों से पहले मज़बूरी में अफजल को दी गयी फांसी का असर कम करने के लिए और मुसलमान वोटो की लालसा में रामसेतु को तोड़ने का कार्यक्रम बनाया जा रहा है ..इसी कड़ी के अंतर्गत सरकार ने आरके पचौरी समिति की सिफारिशों को नकार दिया है।ये वही सरकार है जिसके मंत्री 2 लाख करोड़ रूपये का एक घोटाला करते हैं और अल्पसंख्यक कल्याण के नाम पर लाखो करोड़ जेहादियों को असलहा और बम खरीदने के लिए बाट देती है॥ कांग्रेस सरकार ने सुप्रीम कोर्ट मे हलफनामा दे कर तर्क दिया है की
1 भारत की सरकार (कांग्रेस) किसी राम के अस्तित्व को नहीं मानती है अतः रामसेतु की बात निरर्थक है ॥जब कांग्रेस सरकार राम को नहीं मानती तो रामसेतु को कैसे मानेगी??
पहले तर्क के बारे मे कांग्रेस के हलफनामे के मुताबिक केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पचौरी के नेतृत्व वाली समिति की रिपोर्ट पर विचार किया और उसकी सिफरिशों को नामंजूर कर दिया। सरकार ने सुनवाई के दौरान रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने पर कोई कदम उठाने से इंकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट से इस पर फैसला करने को कहा था। सरकार ने कहा कि 2008 में दायर अपने पहले हलफनामे पर कायम है जिसे राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने मंजूरी दी थी। इससे पहले अप्रैल में केन्द्र सरकार की ओर से दलील दी गई थी कि वह रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने में असमर्थ है।सरकार आतंकवादी अफजल के चश्मे और घड़ी को जेहादियों को देने की बात कर सकती है जिसे वो देशद्रोही संग्रहालय बनाये मगर उसे 100 करोड हिंदुस्थानियों की आस्था के प्रतीक रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने में दौरे आने लगते हैं ॥अब हिंदुओं को सोचना होगा की क्या सचमुच द्रोही कांग्रेसियों को अपने घर मे जगह देनी चाहिए जो "राम" जैसे पूज्य के अस्तित्व पर प्रश्न उठाते हैं॥ क्या ये संभव है कांग्रेस का कोई भी देशद्रोही धर्मद्रोही सदस्य “दिग्विजय सिंह के इष्टदेव मुहम्मद साहब” या अपनी “इटालियन मम्मी” के आस्था के प्रतीक "जीसस" के अस्तित्व पर प्रश्न उठाए ??
सभी हिन्दू भाइयों को इस विषय पर गंभीरता पूर्वक सोचना होगा की आखिर कांग्रेस की ये साजिश क्या है ? रोमकन्या सोनिया और कांग्रेसियों ने वेटिकन सीटी के आदेश मुस्लिम आतंकवाद पर आंखे मूँद ली है इससे मुसलमान हिंदुओं को कमजोर करेंगे और अंततः पूर्वोत्तर की तरह हिंदुस्थान को एक ईसाई बहुल राज्य बनाया जाएगा॥
इसी क्रम मे कश्मीर ,उत्तरप्रदेश,हैदराबाद,बिहार,पश्चिम बंगालऔर आसाम मे हुए हिंदुओं के नरसंहार एवं हिन्दू माताओं बहनो का शील भंग करना आता है । मुसलमानो को आर्थिक एवं राजनीतिक संरक्षण दे कर हिन्दू और हिन्दू अस्मिता को नष्ट करना कांग्रेस सरकार के प्रायोजित कार्यक्रम का प्रथम चरण है॥ अगले चरण मे धीरे धीरे ईसाई मशीनरियों द्वारा भारत का ईसाईकरण. दुखद ये है की कुछ हिन्दू धर्म के द्रोही सेकुलर लोग कांग्रेस के साथ इस साजिश मे शामिल हो गए हैं और कुछ हिन्दू कांग्रेस की इस साजिश को समझ नहीं पा रहे हैं॥
1 भारत की सरकार (कांग्रेस) किसी राम के अस्तित्व को नहीं मानती है अतः रामसेतु की बात निरर्थक है ॥जब कांग्रेस सरकार राम को नहीं मानती तो रामसेतु को कैसे मानेगी??
2 सरकार का दूसरा तर्क है की लगभग 800 करोड रुपए वो खर्च कर चुकी है अतः इस परियोजना को बंद नहीं किया जा सकता॥
पहले तर्क के बारे मे कांग्रेस के हलफनामे के मुताबिक केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पचौरी के नेतृत्व वाली समिति की रिपोर्ट पर विचार किया और उसकी सिफरिशों को नामंजूर कर दिया। सरकार ने सुनवाई के दौरान रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने पर कोई कदम उठाने से इंकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट से इस पर फैसला करने को कहा था। सरकार ने कहा कि 2008 में दायर अपने पहले हलफनामे पर कायम है जिसे राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने मंजूरी दी थी। इससे पहले अप्रैल में केन्द्र सरकार की ओर से दलील दी गई थी कि वह रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने में असमर्थ है।सरकार आतंकवादी अफजल के चश्मे और घड़ी को जेहादियों को देने की बात कर सकती है जिसे वो देशद्रोही संग्रहालय बनाये मगर उसे 100 करोड हिंदुस्थानियों की आस्था के प्रतीक रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने में दौरे आने लगते हैं ॥अब हिंदुओं को सोचना होगा की क्या सचमुच द्रोही कांग्रेसियों को अपने घर मे जगह देनी चाहिए जो "राम" जैसे पूज्य के अस्तित्व पर प्रश्न उठाते हैं॥ क्या ये संभव है कांग्रेस का कोई भी देशद्रोही धर्मद्रोही सदस्य “दिग्विजय सिंह के इष्टदेव मुहम्मद साहब” या अपनी “इटालियन मम्मी” के आस्था के प्रतीक "जीसस" के अस्तित्व पर प्रश्न उठाए ??
अंग्रेज़ो ने सर्वप्रथम हिंदुस्तान पर राज करने के लिए हिंदुस्थानी जनमानस के स्वाभिमान पर चोट की और उसे खतम किया जब व्यक्ति का स्वाभिमान मर जाए तो उसे एक जानवर जैसे रखकर ,पालकर ,प्रताड़ित करके जैसे चाहे वैसे कार्य लिया जा सकता है। इसी क्रम मे अंग्रेज़ो ने बेगार और सार्वजनिक कोड़े लगाने का कुकृत्य शुरू किया। यही काम हिंदुओं के साथ कांग्रेस कर रही है हिंदुओं की आस्था का हर वो प्रतीक जो जरा भी स्वाभिमान उनमे पैदा करता हो उसे नष्ट करो ॥ अमरनाथ यात्रा का क्या हाल हुआ हम सब देख रहे हैं॥ रामलला रहेंगे तम्बू और बारिश मे और रामसेतु तोड़ा जाएगा। अगर कांग्रेस सरकार मे सचमुच इतना पौरुष बचा है तो क्यूँ नहीं जिस "राम" को काल्पनिक कहते हैं उसकी मूर्तियाँ अयोध्या से हटवा देते हैं? हैदराबाद मे मंदिरों मे घंटिया बजाए जाने पर प्रतिबंध भी हिन्दू स्वाभिमान को तोड़ने की कांग्रेस की एक कुटिल चाल है ॥हालांकि बिना सेतु को तोड़े भी वैकल्पिक तरीके से सेतु बनाया जा सकता है मगर कांग्रेस सेतु तोड़ने पर अडिग है क्यूकी सेतु के साथ साथ टूटेगा हिंदुओं का स्वाभिमान ,सेतु के टूटने के साथ कांग्रेस प्रहार करेगी लाखो वर्ष से हिंदुस्थान मे राम को भगवान मानने की आस्था पर, और सेतु के साथ टूटेगा साढ़े सोलह लाख वर्षों से भगवान राम की एक अमर धरोहर जो उस काल मे हमारी सिविल इंजीनियरिंग का अदभूत नमूना है ।
अब यदि कांग्रेस सरकार के दूसरे तर्क 850 करोड रुपए को ले तो क्या लाखों करोडो का घोटाला करने वाले कांग्रेसियों को लाखो साल पुराने हिन्दू स्मृति चिन्ह के लिए टैक्स के 850 करोड भी नहीं मिल रहे हैं और वो पैसे भी हमारे टैक्स के हैं ,हम हिंदुओं की मेहनत के ॥अब यदि कांग्रेस सरकार के दूसरे तर्क 850 करोड रुपए को ले तो क्या लाखों करोडो का घोटाला करने वाले कांग्रेसियों को लाखो साल पुराने हिन्दू स्मृति चिन्ह के लिए टैक्स के 850 करोड भी नहीं मिल रहे हैं और वो पैसे भी हमारे टैक्स के हैं ,हम हिंदुओं की मेहनत के ॥ अगर पैसे की बात है तो कल से दिग्विजय और राहुल गांधी कटोरा ले के खड़े हो जाएँ तो हिंदुस्तान के 100 करोड हिन्दू राम सेतु के लिए 100 रुपए भी देंगे तो रामसेतु का आर्थिक भार सरकार से खतम हो जाएगा और हिन्दू धर्म विरोधी कांग्रेसियों के लिए बख्सीश भी बच जाएगी.
सभी हिन्दू भाइयों को इस विषय पर गंभीरता पूर्वक सोचना होगा की आखिर कांग्रेस की ये साजिश क्या है ? रोमकन्या सोनिया और कांग्रेसियों ने वेटिकन सीटी के आदेश मुस्लिम आतंकवाद पर आंखे मूँद ली है इससे मुसलमान हिंदुओं को कमजोर करेंगे और अंततः पूर्वोत्तर की तरह हिंदुस्थान को एक ईसाई बहुल राज्य बनाया जाएगा॥
इसी क्रम मे कश्मीर ,उत्तरप्रदेश,हैदराबाद,बिहार,पश्चिम बंगालऔर आसाम मे हुए हिंदुओं के नरसंहार एवं हिन्दू माताओं बहनो का शील भंग करना आता है । मुसलमानो को आर्थिक एवं राजनीतिक संरक्षण दे कर हिन्दू और हिन्दू अस्मिता को नष्ट करना कांग्रेस सरकार के प्रायोजित कार्यक्रम का प्रथम चरण है॥ अगले चरण मे धीरे धीरे ईसाई मशीनरियों द्वारा भारत का ईसाईकरण. दुखद ये है की कुछ हिन्दू धर्म के द्रोही सेकुलर लोग कांग्रेस के साथ इस साजिश मे शामिल हो गए हैं और कुछ हिन्दू कांग्रेस की इस साजिश को समझ नहीं पा रहे हैं॥
अब यदि रामसेतु का आर्थिक पक्ष देखें तो ये कांग्रेस की दलाली खाने की एक और चाल है इसकी शुरुआत तब होती है, जब पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति जोर्ज बुश भारत आये थे और एक सिविल न्यूक्लीयर डील पर हस्ताक्षर किये गए जिसके अनुसार अमरीका भारत को युरेनियम-235 देने की बात कही l उस समय पूरी मीडिया ने मनमोहन सिंह की तारीफों के पुल बांधे और इस डील को भारत के लिए बड़ी उपलब्धि बताया, पर पीछे की कहानी छुपा ली गयी l आप ही बताइए जो अमरीका 1998 के परमाणु परीक्षणों के बाद भारत पर कड़े प्रतिबंध लगाता है वो भारत पर इतना उदार कैसे हो गया की सबसे कीमती रेडियोएक्टिव पदार्थ जिससे परमाणु हथियार बनाये जा सकते हैं,एकाएक भारत को बेचने के लिए तैयार हो गया ? दरअसल इसके पीछे की कहानी यह है की इस युरेनियम-235 के बदले मनमोहन सिंह ने यह पूरा थोरियम भण्डार अमरीका को बेच दिया जिसका मूल्य अमरीका द्वारा दिए गए युरेनियम से लाखो गुना ज्यादा है l आपको याद होगा की इस डील के लिए मनमोहन सिंह ने UPA-1 सरकार को दांव पर लगा दिया था, फिर संसद में वोटिंग के समय सांसदों को खरीद कर अपनी सरकार बचायी थी l यह उसी कड़ी का एक हिस्सा है l थोरियम का भण्डार भारत में उसी जगह पर है जिसे हम ‘रामसेतु’ कहते हैं, यह रामसेतु भगवान राम ने लाखों वर्ष पूर्व बनाया था, क्योंकि यह मामला हिन्दुओं की धार्मिक आस्था से जुड़ा था इसलिए मनमोहन सरकार ने इसे तोड़ने के बड़े बहाने बनाये। जिसमें से एक बहाना यह था की रामसेतु तोड़ने से भारत की समय और धन की बचत होगी, जबकि यह नहीं बताया गया की इससे भारत को लाखों करोड़ की चपत लगेगी क्योंकि उसमें मनमोहन सिंह, कांग्रेस और उसके सहयोगी पार्टी डीएमके का निजी स्वार्थ था l भारत अमरीका के बीच डील ये हुई थी की रामसेतु तोड़कर उसमें से थोरियम निकालकर अमरीका भिजवाना था तथा जिस कंपनी को यह थोरियम निकालने का ठेका दिया जाना था वो डीएमके के सदस्य टी आर बालू की थी। अभी यह मामला सुप्रीमकोर्ट में लंबित है l इस डील को अंजाम देने के लिए मनमोहन (कांग्रेस) सरकार भगवान राम का अस्तित्व नकारने का पूरा प्रयास कर रही है, ओने शपथपत्रों में रामायण को काल्पनिक और भगवान राम को मात्र एक ‘पात्र’ बताती है और सरकार की कोशिश है की ये जल्द से जल्द टूट जाये, जबकि अमरीकी अन्तरिक्ष एजेंसी नासा ने रामसेतु की पुष्टि अपनी रिपोर्ट में की है l अतः यह जान लीजिये की अमरीका कोई मूर्ख नहीं है जिसे एकाएक भारत को समृद्ध बनाने की धुन सवार हो गयी है, यदि अमरीका 10 रुपये की चीज़ किसी को देगा तो उससे 100 रुपये का फायदा लेगा, और इस काम को करने के लिए उन्होंने अपना दलाल भारत में बिठाया हुआ है जिसका नाम है "मनमोहन सिंह" l अब केवल कैग रिपोर्ट का इंतज़ार है…जो कुछ दिनों में इस घोटाले की पुष्टि कर देगी…. यदि 1.86 लाख करोड़ का कोयला घोटाला महाघोटाला है तो 48 लाख करोड़ के घोटाले को क्या कहेंगे ? आप ही बताइए।
हम सभी हिन्दू भाइयों को इस बात को समझना होगा की यदि आज राम सेतु तोड़ा गया तो ये सिर्फ एक ऐतिहासिक संरचना को तोड़ना नहीं होगा बल्कि हिंदुओं के धार्मिक आस्था पर चोट होगी॥ कहते हैं की इतिहास स्वयं को दोहराता है रामसेतु को तोड़ना ठीक उसी प्रकार है जैसे बाबर ने रामलला के मंदिर को तोड़ा था अंतर सिर्फ इतना ही है की इस बार बाबर के रूप मे “सोनिया’,”राहुल”,”दिग्विजय” और “चिदम्बरम” जैसे कांग्रेसियों की फौज है और राम मंदिर की जगह है रामसेतु......
"आशुतोष नाथ तिवारी"
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