15 अगस्त 1947 की घटना को 60 वर्ष से भी ज्यादा समय हो चूका है| आज की लगभग पूरी भारतीय जनसँख्या स्वतंत्रता के बाद पैदा हुई है जिसने कुछ देखा नहीं और उसी को सच मान लिया हिया जो सरकारों ने उसे बताया और इन 60 वर्षीं में सरकारी तंत्र ने अपनी पुरी क्षमताएं लगा दी कुछ बातें समझाने में जैसे की 15 अगस्त को भारत स्वतन्त्र हो गया है , हमारा संविधान भारतीयों ने बनाया था और मोहनदास करमचंद गाँधी (सरकारी शब्दों में राष्ट्रपिता महात्मा ) ने देश को स्वतंत्रता दिलाई और वो भी बिना शास्त्रों की सहायता लिए बिना | पिछले 60 वर्षों से हमें मिठाई खिला खिला कर साल में 3 या 4 बार ये बातें बताई जाती हैं और वास्तिविकता को छिपाया जाता रहा है आइये कुछ तथ्यों को देख लें और उसके बाद आप स्वयं निर्णय करें |
सबसे पहले ये देखते हैं की 15 अगस्त 1947 की घटना क्या वास्तव के स्वतंत्रता थी या सत्ता हस्तानान्तरण ?? आज हमारे संविधान की अधिकांश (लगभग ९५% ) बातें वही हैं जो की अंग्रेजों के द्वारा बनाये गए Govt. of India ACT 1935 में थीं | दूसरी बात भारत में जो शिक्षा व्यवस्था मैकाले ने बनाई थी वो भारतीयता की हत्या करने के लिए बनाई थी आज भी वही शिक्षा व्यवस्था चल रही है | आज भी भारत में अधिवालता और न्यायाधीश कला कोट पहनते हिं जबकी भारत एक गर्म देश है ,आज भी जब कहीं डिग्रियां मिलती हैं तो एक भरी गाउन पहनते हैं लोग जो की कम से कम भारत में तो सुविधाजनक नहीं है | दिल्ली के INDIA GATE में आज भी उन सैनिकों के नाम लिखे हैं जो जो ब्रिटिश सरकार के प्रति निष्ठ थे न की भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ने वालों के | आज भी देश भर में कई विद्यालय और महाविद्यालय अंग्रेजों के नाम पर हैं और आज भी सरकारी कार्यों की भाषा अंगेजी हैं कोई भारतीय भाषा नहीं | आज भी हमारी दंड संहिता , नागरिकता का अधिनियम अंग्रेजों का बनाया हुआ है और इन सबसे आगे हमारे देश का नाम भारत नहीं "INDIA that is BHARAT" है | तो प्रश्न यह है की इस तंत्र में स्व है कहाँ और अगर स्व नहीं है तो हम स्वतन्त्र कहाँ हैं ?? क्या यह स्वतंत्रता छद्म नहीं है ???
अब इसके बाद ये देखते हैं की इस कथित स्वतंत्रता को दिलाने का श्री भी क्या मोहनदास करमचंद गाँधी को जाता है ?? अगर गाँधी वास्तव में अंग्रेजों के इए खतरा थे तो अंग्रेजों ने गांधी को कोई दंड क्यूँ नहीं दिया ?? इसके अतिरिक्त गांधी जी का कोई भी आन्दोलन कभी सफल नहीं हुआ तो अंग्रेज गाँधी के कहने पर देश छोड़ कर क्यूँ चले जायेंगे ? गाँधी का अंतिम आन्दोलन 1942 में हुआ था जिसको कुछ ही समय में कुचल दिया गया था और उसके बाद गाँधी ने कोई आन्दोलन नहीं किया तो क्या अंग्रेज ४ वर्ष पुराने आन्दोलन से भयभीत हो गए थे और जो अंग्रेज अपने दमन चक्र के लिए कुख्यात थे वो ऐसे आंदोलनो से दर गए थे ? क्या कांग्रेस से अलग जो लोग थे उन्होंने कोई आन्दोलन नहीं किया था और एक मात्र गाँधी के कारन अंग्रेज भाग गए ?? जो गाँधी कभी भी एक मुस्लिम के हाथ से तलवार नहीं छुड़ा पाए वो क्या अंग्रेजों से देश आजाद करवा सकते थे ??सबसे पहले ये देखते हैं की 15 अगस्त 1947 की घटना क्या वास्तव के स्वतंत्रता थी या सत्ता हस्तानान्तरण ?? आज हमारे संविधान की अधिकांश (लगभग ९५% ) बातें वही हैं जो की अंग्रेजों के द्वारा बनाये गए Govt. of India ACT 1935 में थीं | दूसरी बात भारत में जो शिक्षा व्यवस्था मैकाले ने बनाई थी वो भारतीयता की हत्या करने के लिए बनाई थी आज भी वही शिक्षा व्यवस्था चल रही है | आज भी भारत में अधिवालता और न्यायाधीश कला कोट पहनते हिं जबकी भारत एक गर्म देश है ,आज भी जब कहीं डिग्रियां मिलती हैं तो एक भरी गाउन पहनते हैं लोग जो की कम से कम भारत में तो सुविधाजनक नहीं है | दिल्ली के INDIA GATE में आज भी उन सैनिकों के नाम लिखे हैं जो जो ब्रिटिश सरकार के प्रति निष्ठ थे न की भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ने वालों के | आज भी देश भर में कई विद्यालय और महाविद्यालय अंग्रेजों के नाम पर हैं और आज भी सरकारी कार्यों की भाषा अंगेजी हैं कोई भारतीय भाषा नहीं | आज भी हमारी दंड संहिता , नागरिकता का अधिनियम अंग्रेजों का बनाया हुआ है और इन सबसे आगे हमारे देश का नाम भारत नहीं "INDIA that is BHARAT" है | तो प्रश्न यह है की इस तंत्र में स्व है कहाँ और अगर स्व नहीं है तो हम स्वतन्त्र कहाँ हैं ?? क्या यह स्वतंत्रता छद्म नहीं है ???
ये दावे हास्यास्पद लगते हैं सब हम स्थितियों का सही विश्लेषण करते हैं | अंग्रेजों को यह अनुभूति होने लगी थी की अब भारत पर शासन करना संभव नहीं है और भारत की जनता जाग्रत हो रही है सेना और पुलिस में भी अंग्रेजों के विरुद्ध आक्रोश पनप रहा था और एक और 1857 आ सकता था इसीलिए अंग्रेजों ने स्वयं शासन करने की बाजे भारत की सत्ता अपनी कुछ कठपुतलियों को देने का निर्णय किया था और इसके बदले में किसी को राष्ट्रपिता और किसी को प्रथम प्रधानमंत्री बनाया गया बाकी राज तो आज भी उन्ही का चल रहा है|
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