मैकाले का षड्यंत्र : भारतीयता की हत्या
by Ankit Therealscholar on 01 मार्च 2011 को 09:39 बजे
कुछ लोगों का मानना है की हमें लार्ड मैकाले का आभारी होना चाहिए की उसने भारत को आधुनिक शिक्षा प्रणाली (?) दी थी ,, हाँ मैकाले ने एक शिक्षा प्रणाली अवश्य दी थी परन्तु ऊस कथित शिक्षा प्रणाली का उद्देश्य भारत और हिंदुत्व की आत्मा की हत्या था | यह एक षष्ट था भारत और भारतीयता की जड़ों पर प्रहार का | इस प्रणाली की स्थापना के पीछे मैकाले की मूल भावना क्या थी इस बात को दिखने के लिए मैं मैं काले के द्वारा उसके पिता को दिनांक 12 - 10 -1836 को लिखे गए पात्र का एक अंश प्रस्तुत कर रहा हूँ
"हमारे अंगरेजी विद्यालय आश्चर्यजनक ढंग से प्रशस्त हो रहे हैं | हिन्दुओं पर इनकी शिक्षा का अद्भुत प्रभाव पड़ रहा है | कोई भी हिन्दू , जिसने अंगरेजी शिक्षा पायी हो , अपने धर्म के प्रति निष्ठावान नहीं रहता | इनमे से कुछ और्प्चारिक्तावश हिन्दू बने रहते हैं तो कुछ इसाई बन जाते हिं | मेरा द्रिड विशवास है की यदि हमारी शिक्षा योजना इसी तरह जारी रही तो आगामी तीस वर्षों में बंगाल के संभ्रांत हिन्दू परिवारों में एक भी मूर्तिपूजक बाकी नहीं बचेगा | यह धर्मान्तरण की प्रक्रिया बिना प्रयत्न किये , बिना धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप किये , स्वाभाविक ढंग से स्वतः पूर्ण हो जाएगी | मुझे इस योजना से बड़ी खुशी हो रही है |"(सन्दर्भ "aryans who were they ?" लेखक श्री राम साठे)
भले ही मैकाले की आशाअनुरूप सफलता न मिली हो इस षड्यंत्र को परन्तु इस पात्र के इस शिक्षा प्रणाली का मूल लक्ष्य आसानी से समझा जा सकता है और यह शिक्षा प्रणाली करक है बहुत सी समस्याओं की क्योंकी इसके उत्पादों में से बहुत से यह मानते हैं की जो कुछ भारतीय है वो ख़राब अहि निकृष्ट है और भारत के पास तथा भारतीय संस्कृति के पास ऐसा कुछ भी नहीं है जिस पर गर्व किया जा सके | वो लोग स्वयं को भारतीय के स्थान पर इन्डियन कहलाना पसंद करते हैं और प्रेरणा के लिए विदेशों की तरफ देखते हैं | ये एक वैचारिक युद्ध की तरह है जिसमे की हमें संघर्ष की आवश्यकता है क्यूँकी अगर इस युद्ध में हम पराजित हो गए तो इस पराजय का अर्थ होगा भारतीयता और भारत की पराजय |
वन्दे मातरम |
by Ankit Therealscholar on 01 मार्च 2011 को 09:39 बजे
कुछ लोगों का मानना है की हमें लार्ड मैकाले का आभारी होना चाहिए की उसने भारत को आधुनिक शिक्षा प्रणाली (?) दी थी ,, हाँ मैकाले ने एक शिक्षा प्रणाली अवश्य दी थी परन्तु ऊस कथित शिक्षा प्रणाली का उद्देश्य भारत और हिंदुत्व की आत्मा की हत्या था | यह एक षष्ट था भारत और भारतीयता की जड़ों पर प्रहार का | इस प्रणाली की स्थापना के पीछे मैकाले की मूल भावना क्या थी इस बात को दिखने के लिए मैं मैं काले के द्वारा उसके पिता को दिनांक 12 - 10 -1836 को लिखे गए पात्र का एक अंश प्रस्तुत कर रहा हूँ
"हमारे अंगरेजी विद्यालय आश्चर्यजनक ढंग से प्रशस्त हो रहे हैं | हिन्दुओं पर इनकी शिक्षा का अद्भुत प्रभाव पड़ रहा है | कोई भी हिन्दू , जिसने अंगरेजी शिक्षा पायी हो , अपने धर्म के प्रति निष्ठावान नहीं रहता | इनमे से कुछ और्प्चारिक्तावश हिन्दू बने रहते हैं तो कुछ इसाई बन जाते हिं | मेरा द्रिड विशवास है की यदि हमारी शिक्षा योजना इसी तरह जारी रही तो आगामी तीस वर्षों में बंगाल के संभ्रांत हिन्दू परिवारों में एक भी मूर्तिपूजक बाकी नहीं बचेगा | यह धर्मान्तरण की प्रक्रिया बिना प्रयत्न किये , बिना धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप किये , स्वाभाविक ढंग से स्वतः पूर्ण हो जाएगी | मुझे इस योजना से बड़ी खुशी हो रही है |"(सन्दर्भ "aryans who were they ?" लेखक श्री राम साठे)
भले ही मैकाले की आशाअनुरूप सफलता न मिली हो इस षड्यंत्र को परन्तु इस पात्र के इस शिक्षा प्रणाली का मूल लक्ष्य आसानी से समझा जा सकता है और यह शिक्षा प्रणाली करक है बहुत सी समस्याओं की क्योंकी इसके उत्पादों में से बहुत से यह मानते हैं की जो कुछ भारतीय है वो ख़राब अहि निकृष्ट है और भारत के पास तथा भारतीय संस्कृति के पास ऐसा कुछ भी नहीं है जिस पर गर्व किया जा सके | वो लोग स्वयं को भारतीय के स्थान पर इन्डियन कहलाना पसंद करते हैं और प्रेरणा के लिए विदेशों की तरफ देखते हैं | ये एक वैचारिक युद्ध की तरह है जिसमे की हमें संघर्ष की आवश्यकता है क्यूँकी अगर इस युद्ध में हम पराजित हो गए तो इस पराजय का अर्थ होगा भारतीयता और भारत की पराजय |
वन्दे मातरम |
No comments:
Post a Comment